इस सड़क को बनाने में गई थी 10 लाख लोगों की जान, नाम दिया - रोड ऑफ बोन्स

By: Ankur Fri, 12 Mar 2021 1:42:24

इस सड़क को बनाने में गई थी 10 लाख लोगों की जान, नाम दिया - रोड ऑफ बोन्स

जिस तरह कई जगहें अपनी विशेषता के लिए जानी जाती हैं उसी तरह कुछ रास्ते भी ऐसे होते हैं जो अपने अनोखेपन के चलते विशेष पहचान रखते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको एक ऐसे अनोखे रास्ते के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे बनाने में इंसानी हड्डियों का इस्तेमाल किया गया हैं। वैसे आमतौर पर सड़क बनाने में ईंट, पत्थर, सीमेंट, डामर आदि का इस्तेमाल होता हैं लेकिन जिस सड़क की हम बात कर रहे हैं उसमें इंसानी हड्डियों का भी इस्तेमाल किया गया था। इसी कारण इस सड़क को 'रोड ऑफ बोन्स' यानी 'हड्डियों की सड़क' के नाम से जाना जाता है।

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असल में यह सड़क एक हाइवे है, जो रूस के सुदूरवर्ती पूर्वी इलाके में स्थित है। इसका असली नाम कोलयमा हाइवे है, जो 2,025 किलोमीटर लंबा है। इस हाइवे पर अक्सर इंसानी हड्डियां और कंकाल मिलते रहते हैं। पिछले साल नवंबर में भी इरकुटस्क इलाके में इंसानी हड्डियां मिली थीं। वहां के स्थानीय सांसद निकोलय त्रूफनोव ने बताया था कि सड़क पर हर जगह पर बालू के साथ इंसान की हड्डियां बिखरी पड़ी हुई थीं, वह नजारा बहुत ही भयावह था।

दरअसल, 'रोड ऑफ बोन्स' के नाम से मशहूर इस हाइवे की कहानी दिल दहला देने वाली है। चूंकि ठंड के मौसम में इस इलाके में काफी बर्फ गिरती है, जिससे सड़कें भी ढक जाती हैं। बताया जाता है कि बर्फ की वजह से गाड़ियां सड़क पर न फिसलें, इसलिए सड़क निर्माण में बालू के साथ इंसानी हड्डियों को भी मिलाया गया था।

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इस हाइवे का निर्माण सोवियत संघ के तानाशाह कहे जाने वाले जोसेफ स्टालिन के समय में किया गया था। कहा जाता है कि इसे बनाने में ढाई से 10 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इसके पीछे की कहानी कुछ इस तरह है कि 1930 के दशक में इस हाइवे का निर्माण शुरू हुआ और इस काम में बंधुआ मजदूरों और कैदियों को लगाया गया। उन्हें कोलयमा कैंप में कैदी बनाकर रखा गया था।

कहा जाता है कि कोलयमा कैंप में अगर कोई कैदी एक बार चला जाता था, तो उसका वहां से वापस लौटना नामुमकिन सा हो जाता था। जो लोग यहां से भागने की कोशिश करते थे, वो ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रह पाते थे, क्योंकि या तो वो भालुओं का शिकार हो जाते थे या भयंकर ठंड से मर जाते थे या फिर भूख से। कहते हैं कि जो कैदी मर जाते थे, उन्हें वहीं सड़क के अंदर ही दफ्न कर दिया जाता था।

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